बीएड कॉलेज।में प्रवेश हेतु ऑनलाइन काउंसिलिंग जारी।
पंडित रविशंकर शुक्ल विश्वविद्यालय अंतर्गत मान्यता प्राप्त शासकीय एवं निजी महाविद्यालय में प्रवेश के लिए ऑनलाइन काउंसिलिंग जारी है. सीट आबंटन एवं प्रवेश प्रक्रिया में भाग लेने के लिए जरूरी बातों को ध्यानपूर्वक पढें। सीट आबंटन में कैटेगरी वार सीट अलॉट किस प्रकार किया जाएगा, कॉउंसलिंग फीस , शेष रिक्त सीटों में प्रवेश किस प्रकार होगा उसकी पूरी जानकारी नीचे दिया गया है। यदि आप बी एड पाठ्यक्रम में प्रवेश लेना चाहते है तो नियम शर्तों की भली भांति ज्ञान होना अतिआवश्यक है ताकि जानकारी के अभाव में प्रवेश से आप वंचित न हो जाएं।
बी.एड. पाठ्यक्रम में प्रवेश निम्न चरणों मे सम्पन्न होगा।
- (क) प्री बी.एड. परीक्षा- सामान्यतया बी.एड. पाठ्यक्रम में प्रवेश प्री.बी.एड. की प्रावीण्य सूची आधार पर किए गए ऑनलाइन आवंटन के माध्यम से ही दिया जायेगा।
- (ख) मूल निवासी राज्य के शासकीय तथा अशासकीय अनुदान प्राप्त महाविद्यालयों में बी. एड पाठ्यक्रम की समस्त सीटों पर तथा निजी गैर अनुदान प्राप्त महाविद्यालयों में 80 प्रतिशत सीटों पर केवल छत्तीसगढ़ के मूल निवासियों को ही प्रवेश दिया जाएगा। निजी गैर अनुदान प्राप्त महाविद्यालयों की 20 प्रतिशत सीटों पर छत्तीसगढ़ के मूल निवासियों के अतिरिक्त अन्य व्यक्तियों को भी प्रवेश दिया जा सकेगा छत्तीसगढ़ के मूल निवासी की परिभाषा छत्तीसगढ़ शासन, सामान्य प्रशासन विभाग द्वारा समय-समय पर जारी निर्देशों के अनुरूप होगी।
- (ग) न्यूनतम आयु किसी भी ऐसे अभ्यर्थी को प्रवेश नहीं दिया जाएगा जिसने प्री.बी.एड. परीक्षा के वर्ष की 31 दिसंबर अथवा उसके पूर्व की तिथि में 20 वर्ष की आयु पूर्ण न कर ली हो।
सीट आरक्षण किस प्रकार होगा?
बी.एड. पाठ्यक्रम में सीटों का आरक्षण बी.एड. पाठ्यक्रम में उपलब्ध सीटों में वर्टिकल तथा - क्षैतिज दोनों प्रकार का आरक्षण होगा। वर्टिकल आरक्षण के लिए श्रेणियों होगी, तथा क्षैतिज आरक्षण के लिए संवर्ग होंगे।
- (क) वर्टिकल आरक्षण अथवा श्रेणी वर्टिकल आरक्षण निम्नानुसार होगा-
- अनुसूचित जाति के लिए 15 प्रतिशत।
- अनुसूचित जनजाति के लिए 21 प्रतिशत ।
- अन्य पिछड़ा वर्ग (क्रीमीलेयर को छोड़कर) के लिए 14 प्रतिशत । स्पष्टीकरण अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति तथा अन्य पिछड़ा वर्ग (क्रीमीलेयर को छोड़कर) श्रेणियों में आरक्षण का लाभ पाने के लिए छत्तीसगढ़ शासन सामान्य प्रशासन विभाग द्वारा इन श्रेणियों के जाति प्रमाण के संबंध में समय-समय पर जारी निर्देशों के अनुरूप जाति प्रमाण पत्र प्रस्तुत करना होगा।
- (ख) क्षैतिज आरक्षण अथवा संवर्ग का तात्पर्य है कि यह आरक्षण सभी श्रेणियों की सीटों पर समान रूप से होगा। क्षैतिज आरक्षण निम्नानुसार होगा
- निःशक्त संवर्ग के लिए 6 प्रतिशत इस संवर्ग में आरक्षण का लाभ पाने के लिए छत्तीसगढ़ शासन, सामान्य प्रशासन विभाग द्वारा इस संबंध में समय-समय पर जारी निर्देशों के अनुरूप निःशक्त होने का प्रमाण पत्र प्रस्तुत करना होगा।
- स्वतंत्रता संग्राम सैनिक संवर्ग श्रेणी के लिए 3 प्रतिशत इस संवर्ग में आरक्षण का लाभ पाने के लिए छत्तीसगढ़ शासन, सामान्य प्रशासन विभाग द्वारा इस संबंध में समय-समय पर जारी निर्देशों के अनुरूप स्वतंत्रता संग्राम सैनिक अथवा उनका पुत्र / पुत्री / पौत्र / पौत्री होने का प्रमाण पत्र प्रस्तुत करना होगा।
- भूतपूर्व सैनिक संवर्ग के लिए 3 प्रतिशत । इस संवर्ग में आरक्षण का लाभ पाने के लिए छत्तीसगढ़ शासन, सामान्य प्रशासन विभाग द्वारा इस संबंध में समय-समय पर जारी
निर्देशों के अनुरूप भूतपूर्व सैनिक होने का प्रमाण पत्र प्रस्तुत करना होगा।
- (ग) उपरोक्त आरक्षण नियम गैर अनुदान प्राप्त अल्पसंख्यक महाविद्यालयों एवं गैर अनुदान प्राप्त महाविद्यालयों में लागू नहीं होंगे।"
मेरिट लिस्ट किस प्रकार तैयार किया जाएगा?
- प्रावीण्य सूची प्री. बी.एड. परीक्षा के प्राप्ताकों के आधार पर परीक्षा लेने वाली एजेंसी द्वारा अनुसूचित जाति श्रेणी, अनुसूचित जनजाति श्रेणी, अन्य पिछड़ा वर्ग (क्रीमीलेयर को छोड़कर) श्रेणी तथा अनारक्षित श्रेणी की पृथक-पृथक प्रावीण्य सूचियाँ तैयार की जायेगी।
- अनारक्षित श्रेणी की प्रावीण्य सूची में अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, अन्य पिछड़ा वर्ग (क्रीमीलेयर को छोड़कर) तथा सामान्य सभी जातियों को शामिल किया जाएगा।
- प्रावीण्य सूचियाँ छत्तीसगढ़ के मूल निवासियों तथा अन्य अभ्यार्थियों के लिए पृथक-पृथक बनाई जायेंगी।
- प्रावीण्य सूची में अभ्यर्थी का वर्ग भी अंकित किया जायेगा।
- समान प्राप्तांक होने पर भी अधिक आयु वाले अभ्यर्थी को प्रावीण्यता क्रम में उपर रखा जाएगा।
बीएड कॉलेज में सीट आबंटन कैसे होगा?
ऑनलाइन सीट आवंटन
- (क) प्रावीण्य सूची की घोषणा के पश्चात् संस्थाओं में प्रवेश ऑनलाइन आवंटन विधि से किया जावेगा।
- (ख) ऑनलाइन विकल्प फार्म भरते समय उम्मीदवार आवश्यक मूल प्रमाण-पत्रों / दस्तावेजों तथा 350/- रू. ( अक्षरी तीन सौ पचास रुपये मात्र) के रेखांकित बैंक ड्राफ्ट संचालक, राज्य शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद् के नाम से रायपुर में देय के साथ निर्धारित केन्द्र में स्वयं के व्यय से उपस्थित होंगे। इन केन्द्रों में अभ्यर्थी के प्रमाण पत्रों की प्रारंभिक जांच होगी।
- (ग) ऑनलाइन फार्म भरने की सूचना एवं केन्द्रों की सूची राज्य शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद् के वेबसाइट तथा राज्य के दो प्रमुख समाचार पत्रों में प्रकाशित किये गए हैं।
- (घ) अभ्यर्थी केवल उन्हीं महाविद्यालयों का विकल्प चुने जहां वे प्रवेश लेना चाहते हैं।
- (ड.) अभ्यर्थियों को महाविद्यालय का आवंटन उसके द्वारा दिये गये ऑनलाइन विकल्प (संस्था को दी गई प्राथमिकता) प्री. बी.एड परीक्षा में उसका प्रावीण्यता क्रम तथा सीटों की उपलब्धता के आधार पर संचालक द्वारा किया जायेगा।
- (च) सीट आवंटन की सूची राज्य शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद् के वेबसाइट पर तथा जिस केन्द्र में अभ्यर्थी ने विकल्प फार्म भरा है उसी केन्द्र पर उपलब्ध होगी। सीट्स आवंटन की सूचना डाक द्वारा अभ्यर्थी को नहीं दी जायेगी।
- (छ) ऑनलाइन आवंटन के पश्चात्
- निर्धारित समय अवधि में अभ्यर्थी या तो आवंटित संस्था में जाकर प्रवेश ले अथवा अपना आवंटन निर्धारित कालावधि समाप्त होने के पहले निरस्त कराकर नया विकल्प फार्म उसी केन्द्र में जहां पहले फार्म भरा था, ऑनलाइन जमा कर सकते हैं।
- इसके लिए निर्धारित राशि पुनः जमा करनी होगी अन्यथा ऐसा नहीं करने पर अभ्यर्थी का महाविद्यालय आवंटन निर्धारित समयावधि के पश्चात् स्वयमेव निरस्त हो जायेगा।
- उस अभ्यर्थी को आगे की प्रक्रिया में सम्मिलित नहीं किया जायेगा पुनः विकल्प फार्म भरने वाले अभ्यर्थी को रिक्त सीटों के लिए महाविद्यालय आंवटन अगली सूची जारी करते समय किया जावेगा।
- पुनः विकल्प फार्म भरने का यह अवसर केवल एक बार के लिए होगा।
- (ज) महाविद्यालय द्वारा अभ्यर्थी के मूल दस्तावेजों को जाचकर प्रवेश दिया जायेगा। अगर मूल दस्तावेजों में कोई कमी या त्रुटि पाई जाती है तो उसका चयन निरस्त कर दिया जायेगा ऑनलाइन आवंटन के संबंध में किसी भी विवाद की स्थिति में संचालक का निर्णय अंतिम होगा।
सीट के अनुपात में अभ्यर्थी न मिलने पर कैसे होगा?
- आरक्षित संवर्ग के पर्याप्त अभ्यर्थी उपलब्ध न होने की दशा में प्रवेश आरक्षित संवर्ग के पर्याप्त अभ्यर्थी उपलब्ध न होने की दशा में इन संवर्गों के लिए आरक्षित सीटों को उसी श्रेणी की अनारक्षित सीटों में परिवर्तित कर दिया जाएगा।
- आरक्षित श्रेणी के पर्याप्त अभ्यर्थी उपलब्ध न होने की दशा में प्रवेश किसी भी आरक्षित श्रेणी में पर्याप्त अभ्यर्थी न होने की दशा में प्रवेश निम्नानुसार दिया जाएगा:-
- (क) अनुसूचित जाति श्रेणी के पर्याप्त अभ्यर्थी उपलब्ध न होने की दशा में इस श्रेणी के लिए आरक्षित सीटें अनुसूचित जनजाति श्रेणी के अभ्यर्थियों से भरी जाएगी।
- (ख) अनुसूचित जनजाति श्रेणी के पर्याप्त अभ्यर्थी उपलब्ध न होने की दशा में इस श्रेणी के लिए आरक्षित सीटें अनुसूचित जाति श्रेणी के अभ्यर्थियों से भरी जाएंगी।
- (ग) अनुसूचित जाति श्रेणी अनुसूचित जनजाति श्रेणी दोनो के ही पर्याप्त अभ्यर्थी उपलब्ध न होने की दशा में इन श्रेणियों के लिए आरक्षित सीटें अन्य पिछड़ा वर्ग ( क्रीमीलेयर को छोड़कर ) श्रेणी के अभ्यर्थियों से भरी जाएगी।
- (घ) अन्य पिछड़ा वर्ग (क्रीमीलेयर को छोड़कर) श्रेणी के पर्याप्त अभ्यर्थी उपलब्ध न होने की दशा में इस श्रेणी के लिए आरक्षित सीटें पहले अनुसूचित जनजाति श्रेणी के अभ्यर्थियों से और बाद में भी सीटें रिक्त रहने पर अनुसूचित जाति श्रेणी के अभ्यार्थियों से भरी जाएंगी।
- सभी अभ्यर्थी उपलब्ध न होने की दशा में ही आरक्षित सीटें अनारक्षित की जायेंगी।
- छत्तीसगढ़ के मूल निवासी अभ्यर्थी पर्याप्त संख्या उपलब्ध न होने की दशा में प्रवेश इन नियमों में जो सीटे छत्तीसगढ़ के मूल निवासियों से ही मरी जाना अनिवार्य है, उन सीटों के लिए पर्याप्त संख्या में छत्तीसगढ़ के मूल निवासी अभ्यर्थी उपलब्ध न होने की दशा में यह सीटें भी अन्य अभ्यर्थियों से भरी जा सकेंगी।
- प्रवेश का निरस्तीकरण यदि यह पाया जात है कि अभ्यर्थी के महाविद्यालय में प्रवेश पाने के पीछे किसी झूठी या गलत सूचना का आधार था अथवा उसने कोई प्रारंभिक तथ्य छुपाया था, अथवा प्रवेश के बाद की अवधि में यह पता चलता है कि उसे किसी त्रुटि अथवा चूक के कारण प्रवेश मिल गया था तो ऐसी अभ्यर्थी को दिया गया प्रवेश उसके अध्ययन की अवधि में बिना किसी पूर्वसूचना के संस्था प्रमुख द्वारा निरस्त किया जा सकेगा। प्रवेश को लेकर किसी भी विवाद अथवा संदेह की स्थिति में राज्य शासन का निर्णय अंतिम होगा।
- महाविद्यालय की फीस सभी महाविद्यालयों को इस संबंध में राज्य शासन के सामान्य निर्देशों के अध्यधीन रहते हुए अपनी फीस निर्धारित करने का अधिकार होगा। परंतु यह कि महाविद्यालय अपनी फीस इस प्रकार निर्धारित करेंगे, कि फीस अत्यधिक लाभ कमाने का जरिया न बन जाए फीस का निर्धारण महाविद्यालयों को अपनी अधोसंरचनाओं एवं मानव संसाधनों पर किए जाने वाले व्यय के अनुरूप करना होगा तथा वे इसकी एक लेखा परीक्षित विवरणी राज्य शासन को सौपेगें तथा सार्वजनिक रूप से आम जनता को सूचना के लिए प्रदेश के कम कम से दो समाचार पत्रों में भी प्रकाशित करेंगे।
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