अचानकमार से कान्हा किसली राष्ट्रीय उद्यान को जोड़ने वन्यप्राणी कॉरिडोर

 

अचानकमार से कान्हा किसली राष्ट्रीय उद्यान को जोड़ने वन्यप्राणी कॉरिडोर

अचानकमार टाइगर रिजर्व से कान्हा राष्ट्रीय उद्यान को जोड़ने वन्यप्राणी कॉरिडोर बन रहा है. प्रदेश के दो वनमंडल मिलकर यह काम कर रहे हैं. कॉरिडोर बनाने फिलहाल 20 करोड़ रुपए मंजूर किए गए हैं.

इस प्रोजेक्ट की विशेषतायें


■ दो वन मंडल मिलकर बना रहे हैं कॉरिडोर

■ वन्य प्राणियों के विचरण की निगरानी के लिए ट्रेप कैमरे, जीपीएस सिस्टम, अग्नि सुरक्षा, वन्य प्राणियों के इलाज की व्यवस्था के लिए भी कार्ययोजना तैयार की गई है.

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वन्य प्राणियों के सुरक्षा के लिए सराहनीय प्रयास

कॉरिडोर क्षेत्र में बाघ व अन्य वन्य प्राणियों का आवागमन होता ही रहता है. लेकिन वह क्षेत्र वन्यप्राणियों के लिए अनुकूल नहीं माना जाता है, क्योंकि वहां वन्यप्राणियों के लिए न तो भोजन है और न ही पानी है. यही वजह है कि भूखे-प्यासे वन्य प्राणी आसपास की बस्तियों में पहुंच जाते हैं और मानव जीवन संकट में पड़ जाता है. अक्सर मानव वन्यप्राणी द्वंद्व की स्थिति भी निर्मित होती है.

अचानकमार कान्हा कॉरिडोर में वन्य प्राणियों के लिए भोजन व पानी तक की व्यवस्था की जा रही है. कॉरिडोर क्षेत्र में चारागाह विकास, जल स्त्रोतों का विकास, पौधारोपण, फलदार वृक्षारोपण, लेटलैंड का विकास और सुरक्षा के काम चल रहे हैं. 

वन्यप्राणी - मानव द्वंद्व को नियंत्रित करने में मिलेगी मदद: राव

आईएफएस अधिकारी श्रीनिवास राव के मार्गदर्शन में अचानकमार - कान्हा वन्यप्राणी कॉरिडोर तैयार • करने कार्ययोजना बनी है. श्री राव के अनुसार कॉरिडोर के लिए कवर्धा वन मंडल में 7 और मुंगेली वनमंडल में • 5 गलियारों की पहचान की गई है. कवर्धा वनमंडल के गलियारों का क्षेत्रफल 476.22 वर्ग किलोमीटर और लंबाई 170.63 किलोमीटर है. इसी तरह मुंगेली वन मंडल क्षेत्र के पांच गलियारों का क्षेत्रफल 65, 91 वर्ग किलोमीटर व लंबाई 22.25 किलोमीटर है. इस कॉरिडोर के बन जाने से वन्य प्राणी मानव द्वंद्व को नियंत्रित करने में मदद मिलेगी. वन्य प्राणियों को भोजन पानी के लिए गांवों व नगरों में भटकना नहीं पड़ेगा.

कैम्पा मद से 20 करोड़ रुपए कॉरिडोर निर्माण के 8 पहले चरण में कैम्पा मद से 20 करोड़ रुपए मंजूर किए गए हैं. इनमें कवर्धा वन मंडल को 15 करोड़ रुपए और मुंगेली वनमंडल को 5 करोड़ रुपए दिए गए हैं. उक्त राशि से सड़क किनारे वृक्षारोपण, निजी भूमि में जल स्त्रोत, केटल वेक्सीनेशन, ग्रामीण समुदाय के लिए वैकल्पिक आजीविका के विकास कार्य भी होंगे.

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