शिक्षा में नित्य नवाचार से प्रभावित शिक्षा की गुणवत्ता पर व्यंग कविता सोशल मीडिया में वायरल



शिक्षा की गुणवत्ता पर व्यंग कविता सोशल मीडिया में वायरल

शिक्षा पर नित्य नवाचार के कारण सरकारी विद्यालय के छात्र-छात्राओं के शिक्षा किस प्रकार प्रभावित हो रही है, इसके सम्बन्ध में #ढोल_की_पोल नामक एक व्यंग कविता सोशल मीडिया पर आजकल वायरल हो रही है, जिसमे वर्तमान सरकारी शिक्षक की आत्मव्यथा निहित है, वर्तमान में शिक्षा के सम्बन्ध नित्य ही नए-नए अनुप्रयोग एवं गैर-शैक्षणिक कार्यों में संलिप्तता का कार्य शिक्षाविदों और उच्च कार्यालय द्वारा सरकारी विद्यालयों में किया जा रहा है जिससे सरकारी विद्यालयों के छात्रों की शिक्षा प्रभावित हो रही है, और शिक्षा की गुणवत्ता दिन-ब-दिन शासकीय विद्यालाओं में गिरता जा रहा है, आजकल सरकारी विद्यालाओं में शिक्षा सिर्फ कागजी कार्यवाही में ही गुणवत्तापूर्ण है, परन्तु वर्तमान शिक्षा-तंत्र की वास्तविकता यही है की शिक्षातंत्र और विद्यार्थियों की शिक्षा में गुणवत्ता खोखला होता जा रहा है. इसलिए शासन-प्रशासन को इस सम्बन्ध में गंभीरता से विचार करने की आवश्यकता है एवं एक शिक्षक का मूल कर्तव्य शिक्षा देना है, उन्हें अन्य कार्यों से मुक्त कर उन्हें वास्तविक कार्य शिक्षा देना है, मे संलग्न करने की आवश्यकता है.

सोशल मीडिया में वायरल हो रही यह कविता, क्या है? जानने के लिए पूरा Article पढ़िए

#ढोल_की_पोल       

व्यंग्य - कविता


एक ऊर्जावान शिक्षक ने शाला में ज्वाइन किया

स्कूल भवन को प्रणाम कर काम फाइन किया


मन में बोले हर एक बच्चें को शिक्षित करूंगा

विषम से विषम परिस्थितियों से मैं नहीं डरूंगा


शिक्षक बच्चों को पढ़ाने के लिए तैयार हुये

तब ही प्रधान अध्यापक से नैना दो-चार हुये


हेड मास्टर बोले बीआरसी से किताबें उठा लाओ

और अभी गणवेश का नाप दर्जी को देकर आओ


और हां कल जनशिक्षा केन्द्र पर तुम्हारी मीटिंग है

शिक्षक ने कहा सर! ये तो बच्चों के साथ चींटिंग है


एच एम ने कहा क्या तुम्हारी ऊपर तक सेंटिंग है

नहीं तो तुम्हारे बाद भी यहां एक शिक्षक वेटिंग है


निराश शिक्षक सायकिल उठा कर चल दिया

बच्चों को कैसे पढ़ाएं किसी ने नहीं हल दिया


अगले दिन जब चाॅक और डस्टर उठाया

पड़ोस का एक शिक्षक दौड़ते हुये आया


बोले तुम्हारा नाम बीएलओ ड्यूटी में आया है

जल्दी भागो एक बजे कलेक्टर में बुलाया है


घबराया शिक्षक भागते-दौड़ते चला जा रहा था

बीच-बीच में जन शिक्षक का भी फोन आ रहा था


(जन शिक्षक ने कहा-)


सभी बच्चों की मेपिंग और रजिस्ट्रेशन आज ही कर दो

शाम तक डाक बनाकर जन शिक्षा केन्द्र पर जमा कर दो


संकुल प्राचार्य का फोन जब घनघनाया

अगले ही दिन शिक्षक संकुल पर आया


वे बोले तुम्हें हाई स्कूल के बच्चों को भी पढ़ाना है

अपनी शाला के बाद यहाँ भी नियमित आना है


आदेश मिला कि कल एक और प्रशिक्षण है

और उसी दिन तुम्हारी शाला का भी निरीक्षण है


प्रशिक्षण अधबीच में छोड़ शाला की और दौड़ लगाई

शिक्षक ने निरीक्षण कर्ता को अपनी व्यथा सुनाई


विभाग से आया जरूरी फरमान पढ़ लो

जनगणना के साथ स्कूल सर्वे भी कर लो


काम निपटाकर शिक्षक जब कक्षा में जाने लगा

चुनाव के बिगुल का शौर कानों में आने लगा


अधिकारी बोले चुनाव में ड्यूटी तो करना ही है

अवहेलना में सस्पेंड हुये तो समझो मरना ही है


टेस्ट में बच्चों की दक्षता परखी जायेगी

कमजोर निकले तो माट्साब आपकी नौकरी जायेगी 


बच्चों का समूह बनाकर उन्हें छांट लेना

अंकुर, तरूण और उमंग में बांट देना


ऑनलाइन वर्चुअल ट्रेनिंग अटेंड करके दिखाओ

वर्क बुक, ब्रिजकोर्स, एटग्रेट भरके दिखाओ


शाला साफ रखना शिक्षक की जिम्मेदारी है

बड़े साहब के स्वागत की बताओ क्या तैयारी है?


एक-एक बच्चें को ढूंढकर शाला में भर्ती कराओ

एक घंटा पहले और एक घंटा बाद स्कूल से जाओ


सुनो! बच्चों की स्वच्छता का ध्यान रखना

उनसे पहले तुम मध्यान्ह भोजन चखना


विद्यार्थियों के आधार और समग्र आईडी बनवा दो

समय रहते शाला की रंगाई-पुताई भी करवा दो


विद्यालय प्रांगण में पेड़ - पौधे गाड़ दो

कक्षा में दिख रहे मकड़ी के जाले झाड़ दो


पेयजल स्वच्छ और शौचालय गंदा न हो

जेब से व्यय करो भले ही न फंड न चंदा हो


अपनी उपस्थिति का फोटो नियमित डालते रहना

स्टाॅफ में अकेले हो चाहे, स्कूल संभालते रहना


छात्रों को पकड़-पकड़ स्कूल लाना होगा

पालकों को भी बड़े प्रेम से समझाना होगा


एन ए एस परीक्षा के पेपर तुम्हें ही करवाने हैं

स्कूल के बाद वैक्सीन के टीके भी लगवाने हैं


घबराये शिक्षक ने वीआरएस के लिए आवेदन किया है

सुना है इसके लिए भी बहुत बड़ा कुछ लिया दिया है।


प्रिय मित्रों यह शिक्षा में नित्य नवाचार करने वाले शिक्षक की आत्म व्यथा है।✍️

~सोशल मीडिया में वायरल कविता पर लेख.

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