बोरवेल में फंसे राहुल को आखिरकार 105 घण्टे रेस्क्यू के पश्चात सकुशल बाहर निकाल लिया गया



बोरवेल में फंसे राहुल को आखिरकार 105 घण्टे रेस्क्यू के पश्चात सकुशल बाहर निकाल लिया गया

106 घंटे बाद बोर से बाहर आते ही राहुल ने खोली आँखें..


चट्टानें हारी, जीती जिंदगी,5 दिन, 4 रात चला देश का अब तक का सबसे लंबा बचाव अभियान


मिशन इंच दर इंच आगे बढ़ा राहुल बचाव दल


पिछले 32 घंटों से बचाव दल बहुत छोटे औजारों की मदद से लाइम स्टोन की चट्टान को बहुत सावधानी से तोड़ते हुए आगे बढ़ा, सेना (बचाव दल टीम) रात 10 बजे चट्टान को तोड़कर बोरवेल तक पहुंची। चट्टान तोड़ने पर राहुल की पहली बार झलक मिली, एनडीआरएफ, एसडीआरएफ और सेना ने मिलकर मासूम की जान बचा लिया, 12 बजे राहुल को बाहर निकाला गया, तत्काल एंबुलेंस बिलासपुर रवाना हुआ।

राहुल तक पहुंचने चट्टानों को काटने में लगे 70 घंटे


बोरवेल में फंसे 11 साल के जीवित बच्चे राहुल को आखिरकार 105 घण्टे रेस्क्यू के पश्चात सकुशल बाहर निकाल लिया गया. जमीन से करीब 60-65 फीट नीचे बोर में फंसे इस बच्चे को बचाने के लिए बचाव टीम ने पूरी ताकत झोंक दी थी. पांच दिन, चार रात लगातार अभियान चला. एक अंतिम चट्टान तोड़ने में गुजर गया दिन आधी रात मिली सफलता


राहुल ने सांप और मेंढक के साथ चार दिन

इस बचाव अभियान का नेतृत्व कर रहे कलेक्टर जितेंद्र कुमार शुक्ला राहुल के सकुशल बाहर आने की खुशी छिपा नहीं पा रहे थे. बच्चे को अस्पताल रवाना करने के बाद कलेक्टर ने बताया कि वह इस पूरे अभियान के दौरान बच्चे को लेकर बहुत सशंकित थे. क्योंकि बोर के अंदर डाले गए कैमरे में पता चला था कि बच्चे के पास एक सांप और एक मेंढक है, ये दोनों जीव अंत तक बच्चे के साथ ही रहे. कलेक्टर इसे बच्चे की हिम्मत की दाद देते नजर आए, जिसने अंधेर बोर में पांच दिन और चार रातें गुजारी और लड़ता रहा. हिम्मत नहीं छोड़ी।


10 हजार से ज्यादा संख्या में इकट्ठी हुई थी भीड़

टीम बोर में दो चट्टानों के बीच फंसे राहुल की मदद में लगी थी, तो बाकी टीमें राहुल तक पहुंचने का रास्ता बना रहीं थीं. इस तरह की किसी घटना के बाद ये देश का सबसे लंबा बचाव अभियान चला माना जा रहा है. राहुल की हिम्मत और जिंदा बाहर आने की जिद ने पूरी टीम और वहां जमा 10 हजार से ज्यादा संख्या में लोगों की भीड़ को रोमांचित कर रखा था।


राहुल को जिंदा देख आंखों में आंसू आए..


जैसे ही बचाव दल राहुल को लेकर बाहर आया, कई ग्रामीणों की आंखों में खुशी के आंसू आ गए. इस वाकया का साक्षी बनने के लिए हजारों की तक डटे हुए थे.


 मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल ने दादी से किया था वादा


मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने राहुल की दादी से किया अपना वादा पूरा किया कि तोर नाती ला बोरवेल ले निकाल लेबो. अपनी व्यस्तताओं के बावजूद उन्होंने स्वयं पल-प्रतिपल पूरी कार्यवाही की मॉनिटरिंग की और बचाव दल को हर सम्भव • सहायता उपलब्ध कराने का आदेश दिया. इस पूरे अभियान में सीएम ने संसाधनों की कोई कमी नहीं होने दी, जो उपाय सुझाए गए, उनको तत्काल उपलब्ध करवाया गया. बच्चे के सकुशल बाहर आने के बाद उन्होंने बचाव टीम से बात की.

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